2 िहंदȣभाषाऔरसािहयकाआरंभ

पाठ का प्रारूप
1. पाठ का ईद्देश्य
2. प्रमताृना
3. हसद्ध साहहत्य
4. जैन साहहत्य
5. नाथ साहहत्य
6. सन्त साहहत्य
7. रासो साहहत्य
8. लौदकक साहहत्य
9. गद्य साहहत्य
10. ऄमीर खखसरो
11. हृद्यापहत
12. हनष्क

 

1. पाठ का ईद्देश्य
आस पाठ केऄध्ययन केईपरान्त अप –
• हहन्दी साहहत्य केअददकाल की समय-सीमा जान सकं गे।
• अददकालीन साहहत्य का मृरूप जान सकंगे।
• अददकालीन साहहत्य की प्रृतहतिययाँपहचान सकं गे।
• अददकालीन साहहत्य केप्रृतहतिययं की हृशेषताएँजान सकंगे।
• रासो काव्यों का महत्त्ृ समझ सकं गे।
• ऄमीर खखसरो और हृद्यापहत का साहहहत्यक महत्त्ृ समझ सकं गे।

पाठ का प्रारूप
1. पाठ का ईद्देश्य
2. प्रमताृना
3. हसद्ध साहहत्य
4. जैन साहहत्य
5. नाथ साहहत्य
6. सन्त साहहत्य
7. रासो साहहत्य
8. लौदकक साहहत्य
9. गद्य साहहत्य
10. ऄमीर खखसरो
11. हृद्यापहत
12. हनष्कषष

हनष्कषष

shivani

हनष्कषष

हहन्दी का अददकाल ऄनेक दतहियं सेसहन्धकाल है। भाषा और साहहत्य दोनं दतहियं सेयह संक्राहन्त का काल है। कथ्य की दतहि सेअददकालीन साहहत्य मंएक साथ कइ परम्पराओं का ईदय ददखाइ देता है। ऄपभ्रंश और संमकतत की रचनाओं मंआनमंसेकखछ परम्पराओं केस्रोत ऄृश्य हं, दकन्तखईनकी शहक्त और गम्भीरता हहन्दी की ऄपनी देन है।

दूसरी तरप बीसलदेृ रासो शतंगार प्रधान काव्यो है। यह एक प्रेम काव्यो है, हजसमंसंयोग और हृयोग दोनं मनोदशाओं का सखन्दर हचत्रण हुअ है। यह एक ‘सन्देश काव्यो’ है। मेघदूत और सन्देशरासक की सन्देश परम्परा आसमं हमलती है। बीसलदेृ रासो की एक हृशेषता यह भी हैदक यह एक गेय काव्यो है। सामन्ती जीृन केप्रहत गहरी ऄरुहच का सजीृ हचत्रण आस काव्यो मंहमलता है। आस काव्यो मंमध्यकाल की एक ऐसी नारी है, जो ऄपनेपहत के ऄहंकार को तोड़कर ईसकी प्रहतमपधाषमंअत्मगौरृ की ऄनखभूहत करती हुइ खड़ी होना चाहती है, लेदकन पखरुष का हठ और ईसका ऄहंकार नारी को झखकनेकेहलए बाध्य कर देता ह

बीसलदेृ रासो की रचना नरपहत नाल्ह नेकी है। आसमंसाम्भर नरेश बीसलदेृ (हृग्रहराज चतखथष) तथा मालृा केभोज परमार की पखत्री राजमती केजीृन की एक कालखण्ड की कथा कही गइ है। राजमती का हृृाह बीसलदेृ केसाथ हुअ था। हृृाह केकखछ ही ददनं बाद रानी की बात पर रूठकर बीसलदेृ ईड़ीसा चलेगए और ृहाँएक ृषषरहे। राजमती केहृरह ृणषन केआस सखन्दर ऄृसर का कहृ नेभरपूर ईपयोग दकया है। रानी राजमती नेराजा केपास सन्देश भेजा। ृेईड़ीसा सेलौटे। राजा भोज ऄपनी पखत्री को घर लेअए। बीसलदेृ ृहाँजाकर राजमती को हचतियौड़ लेअए। हृरहजन्य कि सहनेकेबाद भी न तो राजमती का मृभाृ बदला, न ही ईसकेजखबान की तेजी कम हुइ है।

बीसलदेृ रासो मंहहन्दी काव्यो मंप्रयखक्त होनेृाला बारहमासा ृणषन सबसेपहलेहै। बीसलदेृ रासो की शतंगाररक काव्योधारा हहन्दी की सूपी काव्योधारा, कत ष्णभहक्त काव्यो तथा रीहतकालीन काव्यो को बहुत ऄहधक प्रभाहृत करती है। आसी समय ऄथाषत अददकाल मंभाषा केदो रूप ‘सिडगल’ और ‘सिपगल’ हमलतेहं। बीसलदेृ रासो